चिलकहर क्षेत्र में पानी के अभाव में सूखी पड़ी नहर।
– फोटो : BALLIA
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बलिया। जिले में अभी भी नहरों की सफाई हुई नहीं है। इसके चलते, नहरें सूखी पड़ी हुई हैं। गेहूं की बुआई का समय चल रहा है। ऐसे में खेतों को पलेवा देने की जरूरत है। उधर, जिले में डीएपी खाद की भी किल्लत है।
कृषि विभाग की ओर से इस वर्ष रबी की बुआई 193733 हेक्टेयर में कराने का लक्ष्य तय किया गया है। इसमें 136131 हेक्टेयर में गेहूं की बुआई का लक्ष्य है। जिले में नहरों से कुल 1560343 हेक्टेयर क्षेत्रफल की सिंचाई के लिए कुल 274.936 किमी लंबी नहर, रजवाहा और माइनरों की जाल है। इसमें दोहरीघाट सहायक परियोजना, सुरहा ताल पंप नहर, लघु डाल की नहरें और शारदा सहायक की नहरें हैं। पिछले करीब छह वर्ष पहले तक हर साल रबी और खरीफ फसलों के पूर्व नहरों की मरम्मत व तल सफाई का कार्य किया जाता था लेकिन प्रदेश सरकार ने अब केवल रबी के पूर्व नहरों की मरम्मत और तल सफाई की व्यवस्था की है।
आलम यह है कि रबी की बुआई शुरू हो चुकी है लेकिन किसी भी नहर की सफाई नहीं होने से जगह-जगह झाड़-झंखाड़ हो गए हैं, जिसके चलते पानी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पाता है। आमतौर पर 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक गेहूं की बुआई का माकूल समय माना गया है। इसके चलते, किसानों को पलेवा के लिए पानी की जरूरत है। लिहाजा किसान निजी नलकूपों का सहारा लेने को विवश हैं।
उधर, जिले के सहकारी समितियों पर डीएपी की किल्लत बरकरार है और बाजारों में महंगे दामों पर डीएपी मिलने से किसान परेशान हैं। बताया जाता है कि मांग के अनुसार समितियों को डीएपी नहीं मिल पा रहा है। जबकि कृषि विभाग का दावा है कि डीएपी की कोई कमी नहीं है और बफर गोदाम में अभी भी तीन एमटी डीएपी है। समितियों की ओर से मांग प्राप्त होने पर उपलब्ध कराया जाएगा।
नहरों की सफाई का कार्य शुरू हो चुका है। आने वाले दिनों में कार्य में तेजी आएगी। सफाई के बाद नहरों का संचालन पूरी क्षमता से किया जाएगा। – सीबी पटेल, अधिशासी अभियंता, सिंचाई खंड प्रथम, बलिया
जिले में डीएपी की कोई कमी नहीं है। समितियों पर लगातार डीएपी भेजी जा रही है। अगर समितियों की ओर से मांग होगी तो उन्हें डीएपी उपलब्ध कराया जाएगा। अभी भी बफर में डीएपी मौजूद है। – धर्मेंद्र कुमार सिंह, जिला कृषि अधिकारी, बलिया
बलिया। जिले में अभी भी नहरों की सफाई हुई नहीं है। इसके चलते, नहरें सूखी पड़ी हुई हैं। गेहूं की बुआई का समय चल रहा है। ऐसे में खेतों को पलेवा देने की जरूरत है। उधर, जिले में डीएपी खाद की भी किल्लत है।
कृषि विभाग की ओर से इस वर्ष रबी की बुआई 193733 हेक्टेयर में कराने का लक्ष्य तय किया गया है। इसमें 136131 हेक्टेयर में गेहूं की बुआई का लक्ष्य है। जिले में नहरों से कुल 1560343 हेक्टेयर क्षेत्रफल की सिंचाई के लिए कुल 274.936 किमी लंबी नहर, रजवाहा और माइनरों की जाल है। इसमें दोहरीघाट सहायक परियोजना, सुरहा ताल पंप नहर, लघु डाल की नहरें और शारदा सहायक की नहरें हैं। पिछले करीब छह वर्ष पहले तक हर साल रबी और खरीफ फसलों के पूर्व नहरों की मरम्मत व तल सफाई का कार्य किया जाता था लेकिन प्रदेश सरकार ने अब केवल रबी के पूर्व नहरों की मरम्मत और तल सफाई की व्यवस्था की है।
आलम यह है कि रबी की बुआई शुरू हो चुकी है लेकिन किसी भी नहर की सफाई नहीं होने से जगह-जगह झाड़-झंखाड़ हो गए हैं, जिसके चलते पानी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पाता है। आमतौर पर 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक गेहूं की बुआई का माकूल समय माना गया है। इसके चलते, किसानों को पलेवा के लिए पानी की जरूरत है। लिहाजा किसान निजी नलकूपों का सहारा लेने को विवश हैं।
उधर, जिले के सहकारी समितियों पर डीएपी की किल्लत बरकरार है और बाजारों में महंगे दामों पर डीएपी मिलने से किसान परेशान हैं। बताया जाता है कि मांग के अनुसार समितियों को डीएपी नहीं मिल पा रहा है। जबकि कृषि विभाग का दावा है कि डीएपी की कोई कमी नहीं है और बफर गोदाम में अभी भी तीन एमटी डीएपी है। समितियों की ओर से मांग प्राप्त होने पर उपलब्ध कराया जाएगा।
नहरों की सफाई का कार्य शुरू हो चुका है। आने वाले दिनों में कार्य में तेजी आएगी। सफाई के बाद नहरों का संचालन पूरी क्षमता से किया जाएगा। – सीबी पटेल, अधिशासी अभियंता, सिंचाई खंड प्रथम, बलिया
जिले में डीएपी की कोई कमी नहीं है। समितियों पर लगातार डीएपी भेजी जा रही है। अगर समितियों की ओर से मांग होगी तो उन्हें डीएपी उपलब्ध कराया जाएगा। अभी भी बफर में डीएपी मौजूद है। – धर्मेंद्र कुमार सिंह, जिला कृषि अधिकारी, बलिया